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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 10 
अक्षत के कमरे से जो जो सामान निकला था उसने अनुपमा को बेहद शर्मसार कर दिया था । अनुपमा को पता नहीं था कि अक्षत उसे किन निगाहों से देखता था । अनुपमा ने तो उसे अपना छोटा भाई ही समझा था । किसी के मन में क्या चल रहा है ये किसी को कैसे पता चल सकता है ? यदि ऐसी कोई ग्रंथि भगवान इंसान में दे देता तो इतने सारे अपराध नहीं होते । आदमी धोखा नहीं खाता और वह कभी ठगा भी नहीं जाता । फिर इंसान किसी के बारे में कुछ भी बुरा नहीं सोचता क्योंकि जैसे ही वह किसी के बारे में बुरा सोचता वैसे ही सामने वाले को पता चल जाता और वह उसकी वहीं पर खाट खड़ी कर देता । पर भगवान ने ऐसा अवसर किसी को दिया ही नहीं इसलिए अक्षत की तरह न जाने क्या क्या सपने देखने लग जाते हैं लोग । काश , वह अक्षत को पहचान जाती । इंसानों को पहचान नहीं पाने के कारण कैसे शर्मसार हो जाते हैं, अनुपमा इसका जीता जागता उदाहरण थी । 

अक्षत की वार्डरोब से उसके अंगवस्त्र मिलने और अक्षत की पेन्टिंग्स में उसके "न्यूड पोज" मिलने से वह असहज हो गई थी । सक्षम उसे घूर घूर कर देख रहा था । सक्षम की निगाहें उसे अंदर तक छलनी कर रही थीं । वह सक्षम का सामना कर पाने की स्थिति में नहीं थी । वह घुटनों में सिर घुसाये सुबकने लगी । 

सक्षम की हालत बहुत खराब थी । एक तो उस पर हत्या करने का आरोप लग रहा था । उस पर अनुपमा और अक्षत का लफड़ा भी उसे परेशान कर रहा था । अक्षत के कमरे से अनुपमा के अंगवस्त्र मिलना और अक्षत के द्वारा बनाई गई अनुपमा की न्यूड पेन्टिंग्स से वह बहुत विचलित हो गया था । उसे अनुपमा पर बहुत क्रोध आ रहा था । ऐसी उम्मीद नहीं थी अनुपमा से । सबके सामने उसकी इज्ज़त नीलाम हो रही थी और वह कुछ करने की स्थिति में नहीं था । 

बहुत देर तक सक्षम अपनी भावनाओं को काबू में करने की कोशिशें करता रहा । थानेदार मंगल सिंह के और दूसरे पुलिस कर्मियों के उपस्थित होने के कारण वह अनुपमा को कुछ कह भी नहीं सकता था । सबके सामने अनुपमा की तौहीन करता तो उसकी भी तौहीन होती । आखिर पत्नी तो उसी की थी । यदि उसकी इज्ज़त खराब हो रही है तो सक्षम की इज्ज़त कौन सी बढ़ रही थी ? 

जैसे ही पुलिस स्टॉफ इधर उधर हुआ सक्षम ने अनुपमा की बांह मरोड़कर उसकी आंखों में झांकते हुए और दांत पीसते हुए कहा 
"मेरे पीछे से यही करती रहती थी क्या तुम ? एक गैर मर्द के सामने नग्न होते हुए और अपना न्यूड पोर्ट्रेट बनवाते हुए तुम्हें जरा सी भी शर्म नहीं आई ? और तो और तुम अक्षत के साथ इतनी "इंटीमेटेड" हो गयीं कि अपने अंगवस्त्र भी यहीं छोड़ गईं, ये मेरी कल्पना के बाहर की बात है । क्या क्या गुल खिलाये हैं तुमने मेरे पीछे से ? क्या तुम्हारे दिल ने इसके लिए कभी तुम्हें रोका नहीं ? तुममें इतना साहस कहां से आ गया अनु ? मेरी भलमनसाहत का यह सिला दिया है तुमने अनु ? मुझसे विश्वासघात करके क्या मिला तुम्हें अनु" ? 

सक्षम का एक एक शब्द पिघले लावा की तरह उसके कान में घुस रहे थे जिससे उसका तन बदन बुरी तरह जल रहा था । जहर बुझे तीरों ने उसका मन छलनी कर दिया था । जिस तरह अक्षत ने उसे सार्वजनिक रूप से नग्न किया है उस तरह नग्न तो द्रोपदी भी नहीं हुई थी । भगवान श्रीकृष्ण ने उसे तो अपमान की आग में जलने से बचा लिया था मगर उसके अपमान की आग को बुझाने कौन आएगा  ? पति से उम्मीद की जाती है कि ऐसे समय पर वह उसके साथ खड़ा रहे मगर सबसे पहले साथ भी वही छोड़ता है । बल्कि वह इस आग में पेट्रोल डालकर और भड़काता है । नारी की विवशता को जब नारी ही नहीं समझती है तो पुरुषों से अपेक्षा करना बेकार ही है । 

अनुपमा की रुलाई फूट पड़ी । वह वहीं पर फफक फफक कर रोने लगी । वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी "हे भगवान ! इसी समय ये धरती फट जाये और मैं उसमें समा जाऊं । इतनी बेइज्जती के बाद अब जी कर क्या करूंगी मैं" ? अक्षत ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा था । 

अनुपमा की हालत देखकर सक्षम का दिल पसीज गया । यद्यपि वह अनुपमा पर शक करने लगा था पर उसे यकीन नहीं था । अनुपमा के इस रुदन ने सक्षम के दिमाग पर चढी शक की परत को धो धोकर साफ कर दिया । सक्षम को भी लगने लगा था कि अनुपमा निर्दोष है । जो कुछ भी किया धरा है वह केवल अक्षत का ही है इसमें अनुपमा की कोई भूमिका नहीं है । ऐसा सोचकर सक्षम ने अनुपमा का हाथ थामा और उसे अपने सीने से लगा लिया । अपने सबसे नजदीकी व्यक्ति का साथ पाकर इंसान को जो संबल मिलता है वह दूसरे हजार लोगों का सहयोग पाकर भी नहीं मिलता है । अनुपमा ने सक्षम की आंखों में पश्चाताप के आंसू देख लिए थे । सक्षम ने अनुपमा पर अविश्वास करके जो पाप किया था वह उसके आंसुओं से धुल गया था । जब पति साथ होता है तो एक स्त्री किसी से भी टकराने की हिम्मत कर लेती है । सक्षम का साथ पाकर अनुपमा में आत्मबल का संचार होने लगा । 

मृतक राहुल के घर पर छानबीन करने के लिए जो टीम भेजी गई थी वह राहुल की पत्नी को साथ लेकर आ गई  थी । मंगल सिंह ने वह लाश राहुल की पत्नी रीमा को दिखाई । लाश के वीभत्स चेहरे को देखकर रीमा जोर से चीख पड़ी और डर के मारे कांपने लगी । उसकी रुलाई फूट पड़ी । इतने में मंगल सिंह की रौबीली आवाज गूंज उठी 
"लाश को देखकर बता कि यह राहुल ही है ना , तेरा पति" ? 
रीमा ने लाश का चेहरा कई बार देखा लेकिन वह उसे पहचान नहीं सकी थी । वह चुपचाप रोती रही । 
"बोलती क्यों नहीं कि यह तेरे पति राहुल की ही लाश है" ? मंगल सिंह ने फिर से जोर की आवाज में कहा 

रीमा ने रोते रोते कहा "कैसे पहचानूं, इसका चेहरा पूरा बिगड़ा हुआ है" । 
"कपड़े, बाल , कद काठी से पहचान कर बता जल्दी से । इतना टाइम नहीं है मेरे पास" गुर्राते हुए मंगल सिंह बोला । 

लाश का अच्छी तरह से निरीक्षण करने के उपरांत रीमा ने कहा "हां, ये राहुल ही हैं । कपड़े, बालों की स्टाइल, आंखें, कद काठी से ये राहुल ही लग रहे हैं" । 

मंगल सिंह ने उससे कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाये जो लाश की शिनाख्त करने से संबंधित थे । इतने में वह ASI जो राहुल के घर जांच करने गया था, बोला "सर, इसके घर से ये पर्स भी मिला है" । 

मंगल सिंह ने देखा कि पर्स बहुत मंहगा था जो रीमा जैसी साधारण स्त्री का नहीं हो सकता था । उसे याद आया कि अनुपमा ने एक रिपोर्ट अपना पर्स खोने की लिखवाई थी जिसमें एक एप्पल का मोबाइल और कुछ नकदी थी । तब उसे यह भी याद आया कि राहुल की जेब से एक एप्पल का मोबाइल भी मिला था । कहीं ये पर्स और मोबाइल अनुपमा के तो नहीं हैं ? उसने एक से एक कड़ी जोड़नी प्रारंभ कर दी । वह रोती बिलखती हुई अनुपमा के पास पहुंचा और उसे वह पर्स और मोबाइल दिखा कर बोला "क्या ये पर्स और मोबाइल आपके हैं" ? 

पर्स और मोबाइल की बात सुनकर अनुपमा चौंक पड़ी और उसने अपना सिर उठाकर उन्हें देखा । "अरे, ये तो वाकई उसके ही हैं" उसने मन ही मन कहा । फिर वह मंगल सिंह से बोली "आपको ये कहां मिले" ? 
"मोबाइल तो इस लाश की जेब से मिला था और पर्स इसके घर से बरामद हुआ है । लगता है कि ये वही चोर है जिसने आपका पर्स चुराया था । दुबारा चोरी के लिए ये यहां आया होगा और आपको तथा आपके यार को इसने आपत्तिजनक अवस्था में देखा होगा । आप दोनों ने भी इसे देखा होगा और अपना भेद खुल जाने के डर से आप दोनों ने मिलकर इसे मार दिया होगा" । मंगल सिंह ने पूरी घटना से पर्दा हटा दिया था । 
"ये क्या बकवास कर रहे हैं आप ? इतना घिनौना आरोप बिना सबूत कैसे लगा सकते हैं मुझ पर ? अपनी बकवास अपने पास ही रखो । समझे" अनुपमा बिफर पड़ी थी मंगल सिंह पर । 

मंगल सिंह की बात पर सक्षम चौंका । अब तक उसे हत्या करने वाला समझा जा रहा था लेकिन अब फोकस अनुपमा और अक्षत पर हो गया था । इससे उसे थोड़ी राहत मिली  पर अनुपमा का नाम आने से वह बेचैन हो गया । "अगर उसने पाप किया है तो दंड भी भोगना चाहिए उसे" उसके मन ने कहा । उधर मंगल सिंह अनुपमा पर चिल्ला जा रहा था 
"ये पर्स और मोबाइल आपका है या नहीं ? पहचान कर जल्दी बताइये । ज्यादा समय नहीं है मेरे पास" । 

अनुपमा ने पर्स और मोबाइल दोनों को गौर से देखा । पर्स में से नकदी गायब थी , बाकी का सामान यथावत था । मोबाइल में से उसकी सिम निकाल कर दूसरी सिम लगा दी थी । उसने दोनों चीजें पहचान ली थी । 

"अगले अंक में आप पढेंगे कि उस रात अनुपमा और सक्षम कहां थे ? थानेदार की जांच कहां तक पहुंची ) 

श्री हरि 
10.6.23 

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8 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:17 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:41 AM

🙏🙏🙏

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Alka jain

27-Jun-2023 07:53 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:41 AM

🙏🙏🙏

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Shnaya

27-Jun-2023 06:48 PM

Nice one

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:40 AM

🙏🙏🙏

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